पूरे घर में पोछा लगाते हुए, आराम चाहिए था पर जाति कहा, आराम करने, अब तो मेरे कमरे में लॉक था, तो टीवी के सामने लगे सोफे पर, जहां पर पूरा दिन काटती थी, हिम्मत नही हो रही थी बैठने की, मां कही इसी बात पर कोई ताना न मार दे, और मां ने शायद मेरी आंखों में पढ़ लिया, और बोली खड़ी क्या है, मेरे पास आ, और में जब उनके पास गई, मेरा हाथ पकड़ कर मुझे सोफे के साइड में नीचे बिठा दिया, और बोली अपनी हालत देख, सोफे
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